ध्यान ही धर्म है~ओशो
एक ऐसी यात्रा पर तुम्हें ले चल रहा हूं, जिसकी शुरूआत तो है, लेकिन जिसका अंत नहीं। एक अंतहीन यात्रा है जीवन की; उस अनंत यात्रा का नाम परमात्मा है। उस अनंत यात्रा को खोज लेने की विधियों का धर्म है। एस धम्मो सनंतनो।
ओशो - एस धम्मो सनंतनो-(भाग--04)
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